शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

आज एक ख्वाब हो तुम...

आज एक
ख्वाब हो गए
कल तुम
सच थे मेरा...
मैंने तो कभी
नहीं माँगा था
साथ तुम्हारा
तुमने ही
हाथ बढाया...
क्यों आये
मेरे करीब
नहीं समझ पाई...
खुश तो
अब भी हूँ
बस इक सवाल
का जवाब नहीं
तलाश पा रही
तुम क्यों
बन गए पहेली
जिसे मैं सुलझा नहीं पा रही
तुम क्यों
चले गए
बिना कुछ कहे...
परेशान नहीं
बस इक बार
आ जाओ
कह दो मुझसे
की तुम इक ख़वाब थे
तब भी जब
मैं हकीकत मान बैठी थी तुम्हें....

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

चलो हर बात बताती हूँ तुम्हें

चलो हर बात बताती हूँ तुम्हें
अपना हाले दिल सुनाती हूँ तुम्हें
किस तरहा जीती हूँ तुम्हारे बगैर
हर ज़ख्म खोल के दिखाती हूँ तुम्हें...
तुमने बदले रास्ते और मंजिल अपनी
मैं तेरे इंतज़ार में खड़ी हूँ बताती हूँ तुम्हें
चलो हर बात बताती हूँ तुम्हें....
संग जीने मरने की खाई थी कसमें तुमने
हर भूला  वादा याद दिलाती हूँ तुम्हें
हर रोज़ मुझसे मिलने को तड़पते थे तुम
इक लम्हा भी जुदाई से डरते थे तुम
वो हर लम्हां हर वक़्त याद दिलाती हूँ तुम्हें
चलो हर बात बताती हूँ तुम्हें...
मेरे आगोश में हर ग़म से सुकून पाते थे
मेरे पहलु में हर परेशानी भूल जाते थे
अब सूना पड़ा है मेरा दामन तब से
उसकी वीरानगी दिखाती हूँ तुम्हें
चलो हर बात बताती हूँ तुम्हें...
मेरी आँखों में डूबने की ख्वाइश थी तेरी
अब ये पथराई नज़रें दिखाती हूँ तुम्हें
चलो हर बात बताती हूँ तुम्हें
ज़िन्दगी बेरंग बेज़ार नज़र आती है
फिर भी तेरी याद चली आती है
कैसे जीती हूँ तेरी यादों के सहारे अब
इक बार नज़रे इनायत हो तो बताती हूँ तुम्हें
चलो हर बात बताती हूँ तुम्हें
अपना हाले दिल सुनाती हूँ तुम्हें....

रविवार, 22 दिसंबर 2013

करते हैं एक शुरुआत...

चलो फिर से
करते हैं एक शुरुआत
फिर से बन जाते हैं अजनबी
इस तरह जैसे
नदी के दो धारे...
इस तरह
जैसे सुबह और शाम
चलो फिर से
करते हैं एक शुरुआत
वहां से
जहाँ हम मिले थे
वहां से
जहाँ से हम बिछड़े थे
वहां से
जहाँ जुदा हो गईं थी हमारी राहें
चलो फिर से
करते हैं एक शुरुआत....
तुम हम
अब एक संग हो लेते हैं
एक रास्ता
और एक मजिल कर लेते हैं
चलो फिर से
करते हैं एक शुरुआत....

शनिवार, 21 दिसंबर 2013

सरे बाज़ार मार दी गयी...

सरे बाज़ार
मार दी गई
मुझे गोली
सरे बाज़ार
उड़ा दी गईं
क़ानून की धज्जियाँ
हौसला दिखाया था मैंने
हिम्मत कि थी मैंने
अपनी अस्मिता, इज़ज़त
को चकनाचूर होने से
बचाने को कोशिश कि थी
लेकिन हौसला तो देखिये
मुझे अपनी संम्पति समझने वालों का
नहीं बर्दाश्त कर पाये मेरी ना
क़त्ल कर दिया  मुझे
तब
जब देश याद कर रहा था
निर्भया को
उसी वक़्त
मार दी गई
एक और निर्भया...












 

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

इतने करीब थे...

हवा भी ना
गुज़र पाए इतने करीब थे
हम तुम...
एक दूसरे के
आगोश में समाये हुए
सारी दुनिया से बेफिक्र
रीति रिवाज
जीत हार
कोई मायने नहीं थे...
बस उस लम्हे में
जी रहे थे हम खुद को....
लबों की रंगत
और गर्म साँसें
जैसे
मिल गया हो खुदा हमें....
बंद आँखों से जो
ख्वाब देखा
वो सच हो रहा था...
हम साथ थे
फिर भी
नम थीं आँखे...
ना जाने क्यों
मैं नहीं देना चाहती थी
तुम्हें इस लम्हे से दूर
मैं नहीं तोडना चाहती थी
ये खूबसूरत सपना
जो सच था...
बड़ी जोर से
थामे हुए थी
इस पल को
ना जाने
अब ये ज़िन्दगी
ऐसा लम्हां लाये या नहीं......

शनिवार, 14 दिसंबर 2013

खामोश तुम हम...

कार में
खामोश तुम हम
मद्धम मद्धम चलता
मेरी पसंद का गाना
ना जाने क्या सोच रही थी
ना जाने क्या चाह रही थी
थकान से चकनाचूर
आँखों में नींद
लेकिन
ना जाने क्या चल रहा था
हमारे बीच
ख़ामोशी बात कर रही थी
दिल इज़हार ए इश्क कर रहे थे
तुमने बहुत देर बाद
डरते हुए थाम लिया मेरा हाथ
कहा
क्यों खामोश रहती हो
आखिर किस बात से डरती हो
मैं तब भी चुप थी
और आज भी हूँ
कोई जवाब नहीं
इन सवालों के
कार दौड़ती रही
अपनी रफ़्तार से
और हम
फिर खामोश हो गए

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

सुना है...

सुना है
तुमने इक नई दुनिया बसा ली है
जहाँ खुशियाँ हैं
तुम्हारे सच होते ख्वाब हैं
तुम्हारी चाहतें
तुम्हारी हसरतें
तुम्हारा इश्क
तुम्हारी दुनिया
तुम्हारे मुताबिक ही तो है
सुना है
तुम खुश हो
उस दुनिया में
जहाँ
मैं नहीं
मेरी याद नहीं
मेरा वजूद नहीं
मेरी परछाई नहीं
सुना है
तुम खुश हो
अपनी दुनिया में
मैं भी तो खुश हूँ
जब से सुना है
की तुम खुश हो
अपनी बसाई दुनिया में....

धीरे धीरे....

धीरे धीरे
दूर हो रही हूँ
तुम्हारी दुनिया से
रफ्ता रफ्ता
धुंधली हो रही
हैं मेरी यादें
हौले हौले
कमज़ोर हो रही
है हमारी डोर
सब कुछ
उसी तरह
जैसा तुम चाहते थे
अब परेशान
नहीं करुँगी
अब यादों में
नहीं सताऊँगी
अब रिश्ता
ढोना नहीं होगा तुम्हें
देखो
सब कुछ
बदल रहा है
धीरे धीरे
मैं जा रही हूँ
दूर
बहुत दूर
धीरे धीरे....

हाँ मैं खुश हूँ...

हाँ  मैं खुश हूँ
तुम्हारे बगैर
हाँ मैं खुश हूँ ...
अब कोई नहीं
जो रखे मेरा ख्याल
अब कोई नहीं
जो करे मुझसे सवाल
हाँ मैं खुश हूँ
अब कोई नहीं आता
खवाबों में जगाने मुझे
अब कोई नहीं सुलाता
थपकियाँ देके....
हाँ मैं खुश हूँ
अब किसी की
यादें नहीं सताती
अब किसी के वादे नहीं रुलाते
अब कोई नहीं
जो तोड़ता हो मेरी आस
हाँ मैं खुश हूँ...
अब कोई नहीं
जो गीले हाथों से
छूके सताए मुझे
अब कोई नहीं है
जो पढ़ ले मेरी ख़ामोशी
हाँ मैं खुश हूँ...
अब तुम साथ नहीं
हाँ मैं खुश हूँ
तुम्हारे बगैर..

गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

तुम्हें तो शर्म भी नहीं आती...

सावन में हम
झूम के नाचे तो
क़त्ल कर दिए गए
घर से पाओं
बहार निकले तो
बेड़ियाँ दाल दी गईं
किसी के संग
मुस्कराए तो
बदचलन करार दिए गए
तुम्हारे प्रस्ताव को ठुकराया
तो तेज़ाब डाल दिया गया
इश्क जो कर लिया तो
इज्ज़त के नाम पे
गला दबा दिया गया
घर में रोटी नहीं
हुई तो
बेंच दिए गए
पहले कॊख में
मारने की कोशिश
और जन्म लिया तो
मिटटी में दबा दी गई
घिन नहीं आती तुम्हें
हम वंश जननते हैं
तुम्हारे ज़ुल्म सहते हैं
शुक्र तो कभी किया नहीं
तुमने हमारा
तुम्हें तो शर्म  भी
नहीं आती अपने किये पे

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

सुबह की नरम धूप भी देखो...

सुबह की
नर्म धूप भी देखो
बिलकुल तुम्हारे ख्यालों सी है
ये हलकी सुनहरी
थोड़ी सी चुभती
मुझे तेरी याद दिलाती भी है...
कभी सख्त होना
कभी झिलमिलाना
कभी तुम जैसे तेवर दिखाना...
बादल में छुपना
नज़रें चुराना
तुम्हारे तरह रूठना मनाना...
ये देखो कितनी मासूम सी है
बिलकुल तुम्हारी मोहब्बत के जैसे
सुबह की
नर्म धूप भी देखो
बिलकुल तुम्हारे ख्यालों सी है...
एक दिन ना निकले
तो बेचैन दिल हो
कभी मूंह जो फेरे तो
सजदा करा ले
कहीं तुमने देखी है तस्वीर अपनी
अगर कोई शक हो तो खुद आजमा लो....

बड़ी सुनसान राहें थी...

बड़ी सुनसान राहें थी
बड़ी खामोश रातें थी
बहुत रोई अकेले में
बड़ी उदास शामें थी

हमेशा ढूंढती थी मैं
वो चेहरा तो धुंधला था
बहुत बेबस हर लम्हा था
बड़ी बेजान सुबहें थी

जो तूने आज दस्तक दी
तो बदली रंगत फ़िज़ा की भी
ये सुबहा महकी  सी
ये देखो शाम बहकी सी....
सुनो
तुमसे वो कहना है
जो कभी नहीं कहा
सुनो
तुम-हम
अब संग हैं
तुम थकना नहीं
तुम हिम्मत नहीं हारना
तुम डटे रहो
मुश्किलों में
तुम लड़ते रहो
तूफानों से
मैं हूँ
हर समय
हर कठिन
परिस्थति में
जब लगे
टूट रहा है हौसला
तो देखना पलट के
जब हावी होने लगे निराशा
तो सोचना मुझे
तुम्हारी जीत
तुम्हारी हार
तुम्हारे दुःख
तुम्हारे संघर्ष
हर हालत में
साथ हूँ
बस यही
भरोसा दिलाना था तुम्हें...