शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

बेवजह...

सुना था कि
बेवजह कुछ नहीं होता
यक़ीन भी तो था
कि हर बात की
वजह होती है....
हाँ
जब तुम ज़िन्दगी में
शामिल हुए तो
वजह नहीं तलाशी थी
हाँ
जब तुम बेहद क़रीब थे
तो सोचा नहीं था कुछ भी
सब कुछ बेवजह था....
हमारा रिश्ता
हमारी ख़ुशी
हमारा सच
लेकिन
एक दिन
जब तुम
अचानक चले गए
ज़िन्दगी से
तो सवाल करती हूँ
खुद से
तुमसे...
जवाब नहीं है
कोई वजह नहीं थी
तुम्हारे आने कि
और
कोई वजह नहीं है
तुम्हारे जाने कि भी
हाँ
बहुत कुछ होता है
बेवजह....

रविवार, 12 जनवरी 2014

कुछ तो बाकी है


कुछ तो बाकी है
तुम्हारे मेरे दरमियां 
कुछ तो बाकी है...
भले प्यार ना हो पर 
एहसास अब भी बाकी है... 
भले नफ़रत ना हो पर 
नाराज़गी अब भी बाकी है
कुछ तो बाकी है
तुम्हारे मेरे दरमिया
कुछ तो बाकी है... 
तुम्हें पानी की कोशिश नहीं की 
पर मेरी ज़िंदगी में 
तेरी मौजदूगी अब भी बाकी है 
तुम चल दिए अपने रास्तों पर 
लेकिन मेरे सफ़र में 
तेरा साथ अब भी बाकी है 
कुछ तो बाकी है
तुम्हारे मेरे दरमिया
कुछ तो बाकी है... 
जानते हो तुम सबकुछ 
मान लेती हूं आसानी से 
लेकिन  
तुम ज़िंदगी से चले गए 
ये सच मानना अब भी बाकी है... 
कुछ तो बाकी है 
तेरे मेरे दरमियां 
कुछ तो बाकी है.

क्या तुम्हें याद है...


क्या तुम्हें याद है
जब हम मिले थे पहली बार...
तुम भी चुप थे
और मैं भी खामोश थी...
अजीब सा सन्नाटा था
हमारे आसपास....
फिर भी बहुत कुछ
चल रहा था दिलो दिमाग में..
कई सवाल कौंध रहे थे मन मैं
ना जाने क्या क्या पूछना चाह रही थी
लेकिन चुप थी
डर था
पता नहीं तुम क्या
सोचोगे मेरे बारे में...
तुम्हें चोरी-चोरी देख रही थी
और जब लगता कि तुम
देख रहे हो तो नज़रें झुका लेती...
सारी हिम्मत जुटा के
मैने पूछा था तुमसे
क्यों चुप हो...
तुमने कहा था
तुम्हारी खामोशी पढ़ रहा हूं...
क्यों नाराज़ हो खुद  से
ये सवाल किया था मुझसे
कोई जवाब नहीं था मेरे पास....
पहली बार कोई था
जिसने पढ़नी चाही थी मेरी खामोशी
जिसने सन्नाटे में भी
महसूस कर ली थी मेरे अंदर की हलचल
मुझे याद रहेगी
हमारी पहली मुलाकात

क्या तुम्हें भी याद है...

शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

तुम्हारी ज़िद...


तुम्हारी ज़िद है
मुझे हराने की
और मेरी ज़िद है
तुम्हें पाने की...
तुम लाख कोशिश कर लो
मुझसे दूर रहने की
मुझे अपनी यादों
जुदा रखने की
लेकिन
हार तय है तुम्हारी
मेरे अस्तित्व को
नकार नहीं सकते तुम
मेरे प्यार से
इंकार नहीं कर सकते तुम
यक़ीन है मुझे
खुद पर,
खुदा पर,
उसके वजूद पर
एक दिन जीतूंगी मैं
और हारोगे तुम
तुम नहीं हरा सकते मुझे
तुम नहीं थका सकते मुझे
तुम नहीं तोड़ सकते मेरी हिम्मत

तुम नहीं दे सकते मुझे शिकस्त....