वो मुझे ईद की बधाई देते हैं, घर आते हैं सेंवई खाते हैं, मैं उन्हें होली दीवाली की बधाई देती हूँ, रंग खेलती हूँ उनके साथ दिए जलाती हूँ । ना जाने कितने बार कन्या भोज किया, ना जाने कितनी बार सत्यनारायण की कथा सुनी, ना जाने कितनी बार मंदिर गई, गंगा में डुबकी भी लगा आई । मुझे मेरे घर से यही संस्कार मिले हैं, माँ हमेशा कहती हैं हर मज़हब की इज़्ज़त करो। माँ अब्बा हाजी हैं. पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ती हैं, क़ुरआन पढ़ना उनके दिन में शामिल है लेकिन उन्होंने कभी हिंदुओं से नफ़रत नहीं की । मेरे सबसे क़रीबी दोस्तों में हिन्दू हैं हम साथ बढ़े खेले और एक दूसरेके सुख दुःख में शामिल हैं । फिर वो कौन हैं जो बोलते हैं की हिन्दू मुस्लिम एक नहीं हो सकते,हम सांझी संस्कृति का हिस्सा हैं , कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सोशल मीडिया में मुस्लिम्स और इस्लाम को गाली देते हैं लेकिन मेरे अच्छे दोस्त हैं । जो दिखाई दे रहा है वो पूरा सच नहीं है सच वो है जो हमारे आसपास हो रहा है । सीरिया, ईराक़,पकिस्तान की वजह से अपने आसपास अपनेभाइयों से नफरत मत करिये । और जो फ़र्ज़ी गौ रक्षक तथाकथित सेनाएं हैं उनकी वजह से हिन्दू धर्म को मत कोसिये । हम इतने कमज़ोर नहीं बन सकते कि सत्ता के लिए कोई हमें अलग कर दे.....😊
निदा की आवाज़
शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016
हम हिन्दुस्तानी
वो मुझे ईद की बधाई देते हैं, घर आते हैं सेंवई खाते हैं, मैं उन्हें होली दीवाली की बधाई देती हूँ, रंग खेलती हूँ उनके साथ दिए जलाती हूँ । ना जाने कितने बार कन्या भोज किया, ना जाने कितनी बार सत्यनारायण की कथा सुनी, ना जाने कितनी बार मंदिर गई, गंगा में डुबकी भी लगा आई । मुझे मेरे घर से यही संस्कार मिले हैं, माँ हमेशा कहती हैं हर मज़हब की इज़्ज़त करो। माँ अब्बा हाजी हैं. पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ती हैं, क़ुरआन पढ़ना उनके दिन में शामिल है लेकिन उन्होंने कभी हिंदुओं से नफ़रत नहीं की । मेरे सबसे क़रीबी दोस्तों में हिन्दू हैं हम साथ बढ़े खेले और एक दूसरेके सुख दुःख में शामिल हैं । फिर वो कौन हैं जो बोलते हैं की हिन्दू मुस्लिम एक नहीं हो सकते,हम सांझी संस्कृति का हिस्सा हैं , कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सोशल मीडिया में मुस्लिम्स और इस्लाम को गाली देते हैं लेकिन मेरे अच्छे दोस्त हैं । जो दिखाई दे रहा है वो पूरा सच नहीं है सच वो है जो हमारे आसपास हो रहा है । सीरिया, ईराक़,पकिस्तान की वजह से अपने आसपास अपनेभाइयों से नफरत मत करिये । और जो फ़र्ज़ी गौ रक्षक तथाकथित सेनाएं हैं उनकी वजह से हिन्दू धर्म को मत कोसिये । हम इतने कमज़ोर नहीं बन सकते कि सत्ता के लिए कोई हमें अलग कर दे.....😊
बुधवार, 7 सितंबर 2016
नीम का पेड़...
बस इक बार
इक बात कही थी
जब जुदा हो रही
हमारी राहें...
कि
अपने आँगन में
नीम का इक पौधा रोपना
मेरे नाम का...
साल दर साल
वक़्त गुजरता जाएगा
वो पौधा भी दरख़्त बन जाएगा...
हमारे रिश्ते के दरमियाँ
भरी धूप में जो छाँव ले आएगा...
कडवी ही भले
उसकी पत्तियाँ
उसकी निबोरियां
तुम्हारे घर के काम आएँगी ....
वो टूट भी जाए
तो मेरी तरह उसका तना
तुम्हारे घरोंदे का सहारा बन जाएगा...
सूखी लकड़ी
आखिर में जल भी जायेगी
जलते जलते भी
लेकिन
वो तुम्हारी ठिठुरन
भगाएगी....
बस
अपने आँगन में
नीम का इक पौधा
रोपना मेरे नाम का...
सोमवार, 4 जनवरी 2016
वो चेहरा...
तुम
अब भी
तलाश रहे हो
वही चेहरा
जिससे तुम्हें
पहली नज़र में
प्यार नहीं हुआ था
लेकिन
तुम खो गए थे
उसकी उदासी में
खुद में खोई लड़की
जूझती
ज़माने से
लड़ती मुश्किलों से...
उसके
चेहरे पे मुस्कराहट
लाते लाते
तुम खुद लापता हो गए थे...
तुम
अब भी
तलाश रहे हो
वो लड़की
जो दिल में
दबाये थी बहुत कुछ
कोई नहीं
पढ़ पाता था
उसकी ख़ामोशी को
तुम्हें वही ख़ामोशी
कशिश भरी लगती थी
तुम
वही कशिश
तलाश रहे हो
वही ख़ामोशी
वही गुम लड़की
लेकिन
वक़्त कहाँ
किसी का इंतज़ार करता है
मत तलाशो उस चेहरे को
किसी और के चेहरे में
क्योंकि
इश्क़ इक बार होता है
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