काश बिखरे
सामान की तरह
समेट ली जाती ज़िन्दगी...
पास रख लिए
जाते कुछ ख़ास लम्हे...
संजो के रख लेती
तुम्हारी दी हुई हर सौगात...
वो पहली मुलाक़ात
वो पहली नज़र
वो पहली कशिश
वो पहला हर्फ़
दिल में छिपा लेती
बसा लेती
इन्हीं में अपनी दुनिया...
एक बक्से में
ताला लगाके रख लेती
प्यार के उस पहले एहसास को...
ज़माने से बचा लेती
हमारे जज़्बात को....
कपड़ों की तरह
तह कर लेती
तुम्हारे दिए हुए ग़मों को
मिटा देती सारी सिलवटें
तुम्हारे मेरे रिश्ते की...
काश बिखरे
सामान की तरहा
समेट ली जाती ज़िन्दगी...