कार में
खामोश तुम हम
मद्धम मद्धम चलता
मेरी पसंद का गाना
ना जाने क्या सोच रही थी
ना जाने क्या चाह रही थी
थकान से चकनाचूर
आँखों में नींद
लेकिन
ना जाने क्या चल रहा था
हमारे बीच
ख़ामोशी बात कर रही थी
दिल इज़हार ए इश्क कर रहे थे
तुमने बहुत देर बाद
डरते हुए थाम लिया मेरा हाथ
कहा
क्यों खामोश रहती हो
आखिर किस बात से डरती हो
मैं तब भी चुप थी
और आज भी हूँ
कोई जवाब नहीं
इन सवालों के
कार दौड़ती रही
अपनी रफ़्तार से
और हम
फिर खामोश हो गए
खामोश तुम हम
मद्धम मद्धम चलता
मेरी पसंद का गाना
ना जाने क्या सोच रही थी
ना जाने क्या चाह रही थी
थकान से चकनाचूर
आँखों में नींद
लेकिन
ना जाने क्या चल रहा था
हमारे बीच
ख़ामोशी बात कर रही थी
दिल इज़हार ए इश्क कर रहे थे
तुमने बहुत देर बाद
डरते हुए थाम लिया मेरा हाथ
कहा
क्यों खामोश रहती हो
आखिर किस बात से डरती हो
मैं तब भी चुप थी
और आज भी हूँ
कोई जवाब नहीं
इन सवालों के
कार दौड़ती रही
अपनी रफ़्तार से
और हम
फिर खामोश हो गए
6 टिप्पणियां:
बहुत ही बढ़िया :)
सादर
कल 18/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
सुन्दर .....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , कुछ सवालों के जवाब ताउम्र नहीं मिलते ..
सुन्दर अभिव्याक्ति !
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य (भाग १)
नई पोस्ट चंदा मामा
सुंदर भाव.............
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