क्या तुम्हें
याद है
जब हम मिले
थे पहली बार...
तुम भी
चुप थे
और मैं
भी खामोश थी...
अजीब सा
सन्नाटा था
हमारे आसपास....
फिर भी
बहुत कुछ
चल रहा
था दिलो दिमाग में..
कई सवाल
कौंध रहे थे मन मैं
ना जाने
क्या क्या पूछना चाह रही थी
लेकिन चुप
थी
डर था
पता नहीं
तुम क्या
सोचोगे
मेरे बारे में...
तुम्हें
चोरी-चोरी देख रही थी
और जब लगता
कि तुम
देख रहे
हो तो नज़रें झुका लेती...
सारी हिम्मत
जुटा के
मैने पूछा
था तुमसे
क्यों चुप
हो...
तुमने कहा
था
तुम्हारी
खामोशी पढ़ रहा हूं...
क्यों नाराज़
हो खुद से
ये सवाल
किया था मुझसे
कोई जवाब
नहीं था मेरे पास....
पहली बार
कोई था
जिसने पढ़नी
चाही थी मेरी खामोशी
जिसने सन्नाटे
में भी
महसूस कर
ली थी मेरे अंदर की हलचल
मुझे याद
रहेगी
हमारी पहली
मुलाकात
क्या तुम्हें
भी याद है...
3 टिप्पणियां:
वाह कितने गहरे अहसासों को पिरोया है ………बहुत सुन्दर
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
Wah...kya tumhe yaad hai
Wah...kya tumhe yaad hai
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