कुछ तो बाकी है
तुम्हारे मेरे दरमियां
कुछ तो बाकी है...
भले प्यार ना हो पर
एहसास अब भी बाकी है...
भले नफ़रत ना हो पर
नाराज़गी अब भी बाकी है
कुछ तो बाकी है
तुम्हारे मेरे दरमिया
कुछ तो बाकी है...
तुम्हें पानी की कोशिश नहीं की
पर मेरी ज़िंदगी में
तेरी मौजदूगी अब भी बाकी है
तुम चल दिए अपने रास्तों पर
लेकिन मेरे सफ़र में
तेरा साथ अब भी बाकी है
कुछ तो बाकी है
तुम्हारे मेरे दरमिया
कुछ तो बाकी है...
जानते हो तुम सबकुछ
मान लेती हूं आसानी से
लेकिन
तुम ज़िंदगी से चले गए
ये सच मानना अब भी बाकी है...
कुछ तो बाकी है
तेरे मेरे दरमियां
कुछ तो बाकी है.
1 टिप्पणी:
कुछ तो बाकी है तेरे मेरे दरमियां कुछ तो बाकी है.
बहुत ही खूबसूरत एहसास.. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!!
फुर्सत मिले तो कभी हमारी देहलीज़ पर भी आये @ संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
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