बुधवार, 7 सितंबर 2016

नीम का पेड़...





बस इक बार
इक बात कही थी 
जब जुदा हो रही 
हमारी राहें...
कि 
अपने आँगन में 
नीम का इक पौधा रोपना 
मेरे नाम का...
साल दर साल 
वक़्त गुजरता जाएगा 
वो पौधा भी दरख़्त बन जाएगा...
हमारे रिश्ते के दरमियाँ 
भरी धूप में जो छाँव ले आएगा...
कडवी ही भले 
उसकी पत्तियाँ 
उसकी निबोरियां 
तुम्हारे घर के काम आएँगी ....
वो टूट भी जाए 
तो मेरी तरह उसका तना 
तुम्हारे घरोंदे का सहारा बन जाएगा... 
सूखी लकड़ी 
आखिर में जल भी जायेगी 
जलते जलते भी 
लेकिन 
वो तुम्हारी ठिठुरन
भगाएगी....
बस
अपने आँगन में
नीम का इक पौधा
रोपना मेरे नाम का...

2 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुंचे !!

Nidakiaawaaz ने कहा…

शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए