गुरुवार, 23 जुलाई 2015

तानाशाह...




खुद को 
सही साबित करने के लिए 
दमनकारी बन जाइये 
दबा दीजिये 
वो सारी आवाज़ें जो आपके खिलाफ हैं 
खुद को 
सही साबित करने लिए 
बन जाइए तानाशाह 
कुचल डालिये आप पर उंगली उठाने वालों को...
यही तो होता आया है 
जब सत्ता डोलने लगती है 
जब सवाल खड़े होने लगते 
जब आवाज़ें उठने लगती हैं 
तो सत्ताधारी बन जाता है तानाशाह... 
ऐसा तानाशाह 
जो रौंद देता है 
लोकतान्त्रिक व्यवस्था को 
तोड़ डालता है सारी सीमायें 
ऐसा तानाशाह 
जो चीख पुकार नहीं सुना 
जो अहंकारी हो जाता है 
लेकिन वो भूल जाता है 
परिवर्तन प्रकृति का नियम है 
जो आया है वो जायेगा 
जाओगे तुम भी 
कब तक बने रहोगे तानाशाह 
कब तक बचाओगे अपना साम्राज्य

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