शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

सुना है...

सुना है
तुमने इक नई दुनिया बसा ली है
जहाँ खुशियाँ हैं
तुम्हारे सच होते ख्वाब हैं
तुम्हारी चाहतें
तुम्हारी हसरतें
तुम्हारा इश्क
तुम्हारी दुनिया
तुम्हारे मुताबिक ही तो है
सुना है
तुम खुश हो
उस दुनिया में
जहाँ
मैं नहीं
मेरी याद नहीं
मेरा वजूद नहीं
मेरी परछाई नहीं
सुना है
तुम खुश हो
अपनी दुनिया में
मैं भी तो खुश हूँ
जब से सुना है
की तुम खुश हो
अपनी बसाई दुनिया में....

3 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया


सादर

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

shaandaar :)

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत बढ़िया.....!!!
प्रेममय भावों की अभिव्यक्ति !!